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वर्षा जल संचयन हेतु तालाब का प्रस्ताव

शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में भवन निर्माण में मिटटी की सामान्य रूप से बहुत आवश्यकता होती है। इसके लिये अच्छी खेती योग्य भूमि से मिटटी ली जाती है, जिससे वह क्षेत्र खेती के लिये अनुपयोगी हो जाता है। वहीं पर यह देखा गया है कि शहर, कस्बे एवं गांव में बहुत सारे तालाब की जमीनों में अतिक्रमण हो रहा है। सामान्य रूप से मनरेगा के अंतर्गत तालाब एवं पोखरों के कार्य कराये जाते हैं तथा उनकी गुणवत्ता बहुत ही दयनीय होती है। उपरोक्त दोनों समस्यायों से साथ-साथ निपटना सम्भव है अगर तालाबों की खुदाई मशीनों से करायी जाये और उससे निकलने वाली मिटटी को बेंच दिया जाये। इससे तालाबों की खुदाई मुफ्त में हो जायेगी तथा इससे कुछ आय भी प्राप्त हो जायेगी। इन तालाबों को वर्षा जल से नालों एवं नदियों के माध्यम से भरा जाना चाहिये, इससे न केवल वर्षा जल का संग्रहण होगा बल्कि भूजल स्तर बढाने में भी सहायता मिलेगी। वर्षा काल के अलावा नदियों में पानी की कमी एवं प्रदूषण रोकने में सहायता मिलेगी। इस प्रकार अगर प्रदेश में सभी तालाब और पोखरों की खुदाई सुनिश्चित कर ली जाये तो प्रदेश में जल की कमी स्वतः ही समाप्त हो जायेगी तथा कोई डार्क जोन इत्यादि भी नहीं रहेंगे।

 

उपरोक्त प्रयास से होने वाले लाभ

  1. तालाबों की खुदाई मुफ्त में हो जायेगी।
  2. तालाबों के किनारे बैंक बनाने की आवश्यकता नहीं है जिससे बहुत सारी जमीन का उपयोग संभव हो सकेगा तथा जल संग्रहण बढेगा।
  3. बैंक की मिटटी वापस बह कर तालाब में जाने की संभावना नहीं रहेगी।
  4. तालाब में चारो तरफ से पानी आने से अतिरिक्त नाली बनाने की आवश्यकता नहीं होगी।
  5. तालाब की गहराई अधिक होने से वर्षा जल का संग्रहण ज्यादा होगा तथा वर्षा जल बेकार नहीं जायेगा।
  6. वर्षा जल का अधिक संग्रहण होने से नदियों में बाढ में कमी आयेगी।
  7. नदियों में वर्षा काल के अलावा भी पानी की आपूर्ति बनी रहेगी।

सावधानियां

  1. रिचार्ज पिट में भरने के लिये लोकली उपलब्ध सामग्री का उपयोग किया जाये।
  2. तालाब को ऐसी जगह बनाया जाये जिससे वर्षा जल स्वतः ही बह कर तालाब तक पहुंचे।
  3. लोकल आवश्यकता के अनुसार इसका आकार एवं गहराई निर्धारित की जाये।